Hindi
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श्याम परिंदा
आसमान अब सुना है पंछियों का शोर नहीं पंछियों के परो की दी जा रही बलि कही एक राजा है इस देश का निर्दयी और मायावी भी खा जाता परिंदों को उनके पर आते ही प्रजा भी निर्मम है कहाँ राजा से कम है परिंदो को पकड़ लाती परिंदो की दुश्मन है … Continue reading
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कच्चे बगीचे
शहर शहर अब ढूंढ रही है एक कच्चा बगीचा कच्चे बगीचों का किन्तु कोई शहर न होगा मधुबन मधुबन फिरती है एक मासूम तितली लथपथ खुद को करती अब हर मधुबन रूठा चलते चलते आ गयी इस लोहे के जंगल नन्ही सी तितली का अब मेला छूटा डगर डगर बस दर्द मिला… Continue reading
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धुआँ
एक धुआँ उठ रहा हैजो दम घोटता हैजिसमे साँस नहीं आतीऔर जिस्म जल रहा है निर्मम निराशा का धुआँजो आसमान घेरता हैये धुआँ किसी इन्सान कीजलती रूह से उठा है सत्ता के दंभ में कोईइस धुएँ की आग कोनिर्दयी स्वार्थ सेफिर हवा कर रहा है सिर्फ एक रूह नहींजो जल रही हैहर चौराहे मेंजलती रूह… Continue reading
About Me
I’m a guy in a strange place writing an infrequent blog. I speak with little to no expertise on everything. What I write comes from my lived experience and that’s all there is to it. This is a blog maintained with v low effort and purely for my joy